नबूव्वत व रिसालत (ईशदूतत्व) की सत्यता

नबूव्वत व रिसालत (ईशदूतत्व) की सत्यता

नबूव्वत व रिसालत (ईशदूतत्व) की सत्यता

हर रसूल अपने भक्तों की जाति में से था और उनकी भाषा जानता था

ईशवर की यह बुद्धिमत्ता ही है कि उसने हर लोक के पास उनही में से एक मानव को रसूल बनाकर भेजा। ईशवर ने कहा और हम ने तुम से पहले मर्दों ही को पैग़म्बर बनाकर भेजा था। (अल-नहल, 43)

यह भी ईशवर की बुद्धिमत्ता है कि उसने हर लोक के रसूल को उनही की भाषा जानने वाला बनाकर भेजा, ताकि वे उसकी भाषा और भावनाओं को समझें। ईशवर ने कहा और हम ने कोई पैग़म्बर नही भेजा, मगर क़ौम की ज़ुबान बोलता था ताकि उन्हें (खुदा के हुक्म) खोल-खोल कर बता दे, फिर खुदा जिसे चाहता है, गुमराह करता है और जिसे चाहता है, हिदायत देता है और वह ग़ालिब (और) हिक्मत वाला है। (इब्राहीम, 4)

रसूल और नबियों की निपुणता और पवित्रता

नबी औऱ रसूल श्रेष्ठ बुद्धि, पवित्र वृत्ति, सत्यता, विश्वसनीय, और शारीरिक रूप से हर उस दोष से सुरक्षित है, जिसको देखना पसंद नही किया जाता है और जिससे मनोदशाएँ द्वेष करती हैं। ईशवर ने उन्हें मानसिक और चारित्रिक रूप से पवित्र बनाया है, परन्तु ये सब रसूल सारी मानवता में सब से अच्छे चिरत्र, सब से पवित्र व्यक्तित्व और सब से ज्यादा दानी हैं। ईशवर ने उन में अच्छे चरित्र और अच्छी आदतें इकट्ठा करदी है, और इसी प्रकार से उनमे ज्ञान, दान बहादुरी, न्याय और अच्छे अच्छे गुण रखदिये है, ताकि वे अपनी लोक के बीच इन गुणों से पहचाने जायें। परन्तु रसूल ईशवर की बनायी हुई सब से श्रेष्ठ सृष्टि है, ईशवर ने उन्हें अपने संदेश को मानवता तक पहुँचाने के लिए चुनलिया है। ईशवर ने कहा इसको खुदा ही खूब जानता है कि (रिसालत का कौन-सा महल है और) वह अपनी पैग़म्बरी किसे इनायत फरमाए (अल्-अन्आम, 124)

और ईशवर ने कहा खुदा ने आदम और नूह और इब्राहीम के खानदान और इम्रान के खानदान को तमाम दुनिया के लोगों में चुन लिया था। (आले-इम्रान, 33)

और ईशवर ने ईसा अलैह सलाम के बारे में कहा(वह वक़्त भी याद करने के लायक है) जब फरिश्तों ने (मरयम से कहा) कि मरयम, खुदा तुमको अपनी तरफ़ से एक फ़ैज़ की खुशखबरी देता है, जिसका नाम मसीह (और मशहूर) ईसा बिन मरयम होगा (और जो) दुनिया और आख़िरत में बा-आबरू और (खुदा के) खासों में से होगा। और माँ की गोद में और बड़ी उम्र का होकर (दोनों) हालतों में लोगों से (एक ही तरह बातें करेगा और नेकों में होगा । (आले- इम्रान, 45-46)

निशचित रूप से मुहम्मद (सल्लेल्लाहु अलैहि वसल्लम) ईश दूतत्व (रिसालत या पैग़म्बरी) के आने से पहले अपने लोक में सत्यवादी और विश्वसनीय के नाम से मशहूर थे, और ईशवर ने आपके गुण वर्णन करते हुए यह कहा । और तुम्हारे अख्लाक़ बड़े (बुलंद) है। (अल्-ख़लम, 4)

रसूल और नबियों की मानवता

यह सब रसूल और नबी हालांकि अच्छे-अच्छे गुण अपने अन्दर रखते हैं, लेकिन यह भी मानव हैं, इनको भूख लगती है, ये बिमार होते हैं, इनको नींद आती है, ये खाते हैं, शादी ब्याह करते हैं, और इनको मौत भी आती है। ईशवर ने कहा और (ए मुहम्मद ।) हम ने तुम से पहले भी पैग़म्बर भेजे थे और उनको बीवियाँ और औलाद भी दी थी। (अल्-राद, 38)

ईशवर ने कहा (ए पैग़म्बर ।) तुम भी मर जाओगे और ये भी मर जाएँगे । (अल्-ज़ुम्र, 30)

ईशवर ने अपने नबी और रसूल मुहम्मद के बारे में यह कहा और तुम अपने दिल में वह बात छिपाते ते जिसको खुदा ज़ाहिर करने वाला था। (अल्-अह्ज़ाब, 37)

इसी कारण कभी-कभी रसूलों को परेशान किया गया, या उनकी हत्या की गयी, या उन्हें अपने देश से बहिष्कार किया गया। ईशवर ने कहा और (ए मुहम्मद । उस वक़्त को याद करो) जब काफिर लोक तुम्हारे बारे में चाल चल रहे थे कि तुम को क़ैद कर दें, या जान से मार डालें ! या (वतन से) निकाल दें तो (इधर से) वे चाल चल रहे थे और (उधर) खुदा चाल चल रहा था और खुदा सब से बेहतर चाल चलने वाला है। (अल्-अनफ़ाल, 30)

लेकिन परिणाम, विजेता औऱ सक्षम इस जीवन और भविष्य जीवन में इनही रसूलों के लिए है।




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