डिबोरा पोटर

quotes:
  • ईश्वर का मनुष्य को सम्मान प्रधानकरना
  • वो इस्लाम जो अल्लाह का बनाया हुआ नियम है। इसको हम शुध्द रुप से महसूस करते हैं। केवल अल्लाही के आदेश से पहाड, समंदर, ग्रह और सितारे चलाते हैं अपनी कक्षाओं में घूमते हैं। ये सारा ब्रह्माण्ड उसी अल्लाह के आदेश का पालन करता है। इसी प्रकार इस ब्रह्माण्ड का कण-कण यहाँ तक के निर्जीव भी अल्लाह के आदेश का पालन करते हैं। लेकिन मनुष्य इस कानून से अपवर्जित है। क्यों के अल्लाह ने मानव को मनो भावना की स्वतंत्रता देखा है। इसीलिए मानव को ये छूट प्रात्प है वो अल्लाह के आदेश के आगे आत्मसमर्पण करें या स्वयं कोई नियम बनाले और अपने पसंदीदा धर्म पर चलें दुर्भाग्य से मानव ने अधिकाश तोर पर दूसरा मार्ग अपने लिए पसंद किया हैं।


  • नबुव्वतके प्रमाण
  • मुहम्मद (स) अनपढ़ मनुष्य जिनकी अनपढ़ समाज में परवरिश हुई। कैसे उनके अंदर ये शक्ति उत्पन्न हो गई के वो खुराने करीम के बतायेगये चमत्कार समझ गये, और वो ऐसे चमत्कार जिसको आधुन विज्ञान आज-तक खोज कर रहा है। इसी कारण ये बात निश्चय है कि ये कलाम (खुरान) अल्लाह का कलाम है।


  • पाक-साफ जड
  • इस्लाम मुहम्मद (स) की ओर से कोई नया मज़हब नही है। परन्तु ईसा के आसमान पर उठाये जाने के 600 साल बाद पृथ्वी में दुबारा उसी वही का व्याप्त हुआ जो पूर्व आसमानी मज़हब की असल थी और इस वही ने सारे मज़हब को उनकी मूल जड़ की ओर लौटा दिया। सब नबी जिन्को ईश्वर ने भेजा है वे सब के सब मुसलमान थे और सब का संदेश हमेशा एक ही था।


  • ईशवरीय ग्रंथ
  • जब मैं ने ख़ुराने करीम को संपूर्ण रूप से पढ़लिया तो मेरे भीतर यह भावना पैदा हुई कि ख़ुरआन प्राणी और बहुतसी विषयों के बारे में निस्संदेह पूर्वक उत्तरों पर शामिल है, और खुराने करीम ने घटनाओं को बडे अच्छे तार्किक रूप में वर्णन किया है, जब कि यही घटनाएँ खुरआन के अतिरिक्त दूसरी धार्मिक किताबों मे एक समान नही मिलती। जहाँ तक खुरआन की बात है, तो खुरआन ने भव्य और निर्णायक रूप में इन घटनाओं का वर्णन करते हुए इस बात में कोई संदेह नही रखा की यही सत्य है, और यही निश्चित रूप से ईशवर की ओर से मिलने वाला ग्रंथ है।


  • ब्रह्माण्ड के चमत्कार
  • अनपढ़ मुहम्मद (जिनका पालन पोषण अज्ञानी सभ्यता में हुआ है) से कैसे संभव हुआ कि वह ब्रह्माण्ड के उन चमत्कारों का परिचय कराये, जिनका ख़ुरआन में वर्णन किया है, और जिन कि आधुनिक ज्ञान आज तक खोज में लगा हुआ है। फ़िर तो आवश्यक यह बात है कि ख़ुरआन देवत्व वाणी है।