ईशवर वह है जिसका कोई साझी नही

ईशवर वह है जिसका कोई साझी नही
ईशवर के अतिरिक्त कोई प्रभु नही है। वह एक है, उसका कोई साझी नही है। वह सत्य है। उसके अतिरिक्त हर चीज़ असत्य है। उस ने हमारी सृष्टी की, वही हमें रोटी देता है। निस्संदेह इस्लाम यह है कि हम अपना मामला ईशवर को सौंप दें । उसी के सामने आत्मसमर्पण करें। उसी से सुख प्राप्त करें। उसी पर भरोसा रखें। यह विश्वास रखें कि संसार के संतुलन में ईशवर की तत्वदर्शता ही को पूर्ण शक्ती प्राप्त है। इस संसार और भविष्य जीवन में जो भी हमें नसीब में मिले उस्से खुश रहें। ईशवर द्वारा हमें मिलने वाली हर चीज़, चाहे वह कठिन मौत ही क्यों न हो, हमें उसको मुस्कुराते चहरे और सुखी मन के साथ स्वीकार करना चाहिये। हम यह जानलें कि वही भलाई है। उसके अतिरिक्त कोई और भलाई नही। मानव की यह नादानी है कि वह संसार और उसकी परिस्थितियों को समझने के लिए अपने कमज़ोर दिमाग़ से कोई स्वयं हिसाब बनालें। बल्कि मानव के लिए इस बात की आवश्यकता है कि वह इस ब्रह्माण्ड के लिए न्यायिक नियम होने का विश्वास रखे। चाहे वह अहसास न करपाएँ। यह विश्वास रखें कि ब्रह्माण्ड की स्थापना अच्छाई पर आधारित है, और संसार की आत्मा सुधार पर है। मानव को इस बात का ज्ञान रखने और इस पर विश्वास रखने की आवश्यकता है, और सुखी मन के साथ इसका पालन करें।


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