रसूलों के संदेश के मुख्य नियम

रसूलों के संदेश के मुख्य नियम

रसूलों के संदेश के मुख्य नियम

एक ही नियम

सारे नबी और रसूलों का संदेश एक ही महत्वपूर्ण बुनियाद पर आधारित है, परन्तु सारे रसूलों का संदेश एक ही है । उस ने तुम्हारे लिए दीन का वही रास्ता मुक़र्रर किया, जिस (के अपनाने) का नूह को हुक्म दिया था और जिस की (ऎ मुहम्मद ।) हम ने तुम्हारी तरफ़ वहयी भेजी है और जिस का इब्राहीम और मूसा और ईसा को हुक्म दिया था, (वह यह) कि दीन को क़ायम रखना और उस में फूट न डालना । जिस चीज़ की तरफ़ तुम मुश्रिकों को बुलाते हो, वह उनको मुश्किल गुज़रती है । अल्लाह जिसको चाहता है, अपनी बारगाह का चुना हुआ कर लेता है और जो उसकी तरफ रुजूअ करे, उसे अपनी तरफ़ रास्ता दिखा देता है। (अल् शुअरा, 31)

इसी कारण सारे नबी और रसूलों का धर्म एक था, जैसा कि ईशवर ने कहा ऎ पैग़म्बरों । पाकीज़ा चीज़े खाओ और नेक अमल करो । जो अमल तुम करते हो, मैं उनको जानता हूँ । और यह तुम्हारी जमात (हक़ीकत में) एक ही जमाअत है और मै तुम्हारा परवरदिगार हूँ तो मुझ से डरो । (अल् मुमिनून, 51,52)

अगर चे इन रसूलों के धर्मों के गौण नियम अलग-अलग हो । ईशवर ने कहा हम ने तुम में से हर एक (फिर्के) के लिए एक दस्तूर और एक तरीक़ा मुक़र्रर किया है। (अल् माइदह, 48)

अगर गौण नियम मुख्य नियम के विरोध मे हों, तो यह नियम बुद्धिमत्ता, लाभ और दया से ख़ाली होंगें, बल्कि असंभव है कि यह नियम अपनी छवि के अलावा किसी और छवि में आते । ईशवर ने कहा और अगर (खुदा-ए-बर) हक़ उनकी ख्वाहिशों पर चलें तो आसमान और ज़मीन और जो उन में हैं, सब टूट-फूट जाए । (अल् मुमिनून, 71)

विश्वास और एकीकरण का सिद्धांत

रसूलों और ईशतत्व में जिन मुद्दों पर सब सहमत हैं, उन में से कुछ ये हैं ईशवर उसके एंजिल, उसकी पुस्तकों और रसूलों पर, भविष्य जीवन और अच्छे और बुरे भाग्य पर ईमान लाना हैं। ईशवर ने कहा (ख़ुदा के) रसूल उस किताब पर जो उनके परवरदिगार की तरफ़ से उन पर नाज़िल हुई, ईमान रखते हैं और मोमिन भी सब खुदा पर और उसके फ़रिश्तों पर और उसकी किताबों पर और उसके पैग़म्बरों पर ईमान रखते हैं (और कहते हैं कि) हम उस के पैग़म्बरों से किसी मे कुछ फ़र्क नहीं करते । और वे (खुदा से) अर्ज़ करते हैं कि हम ने (तेरा हुक्म) सुना और क़ुबूल किया । ऎ परवरदिगार । हम तेरी बख्शिश मांगते हैं और तेरी ही तरफ़ लौट कर जाना है। (अल्-बक़रा, 285)

एक ईशवर की प्रार्थना का आदेश जिसका कोई भागीदार नही, उस ईशवर को पत्नी, संतान, भागीदार और समानता से श्रेष्ठता का आदेश, और मूर्ति पूजा से दूर रहने का आदेश। ईशवर ने कहा । और जो पैग़म्बर हमने तुम से पहले भेजे, उन की तरफ यही वहयी भेजी कि मेरे सिवा कोई माबूद नहीं, तो मेरी ही इबादत करो । (अल् अम्बिया, 25)

इसी प्रकार से ईशवर के पथ पर चलने, और इसके विरोधी हर पथ से दूर रहने का आदेश, लेन-देन और नाप-तोल पूरा करने का आदेश, माता-पिता के साथ अच्छा व्यवहार करने का आदेश, लोगों के बीच न्याय करने का आदेश, बात-चीत और काम-काज में सच बोलने का आदेश, गुप्त और प्रकट, अश्लिलताएँ, पाप, अन्याय से किसी पर ज़ुल्म करने पर, अपने संतान की हत्या और अन्याय से किसी मनुष्य की हत्या करने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश, ब्याज, अनाथ का धन उपयोग न करने का आदेश और घमण्ड, फिज़ूल खर्चे और अन्याय से लोगों का धन उपयोग न करने का आदेश देना ।

भविष्य जीवन पर विश्वास रखना । हर मनुष्य वास्तविक रूप से यह ज्ञान रखता है कि एक न एक दिन वह मरने वाला है। लेकिन मृत्यु के बाद उसका भाग्य क्या होगा । क्या वह भाग्यवान होगा या दुर्भाग्यवान? और सारे नबी और रसूल अपने-अपने भक्तों को यह संदेश दे चुके हैं कि वे सब मृत्यु के बाद दुबारा जीवित होंगें और उन्हें अपने कार्यों का फल मिलेगा, अगर कार्य अच्छें हों तो अच्छा, और अगर बुरे हों तो बुरा फल मिलेगा । इस आदेश (मृत्यु के बाद जीवित होने और अपने कार्य के फल मिलने का आदेश) को श्रेष्ठ बुद्धि भी स्वीकार करती है और देवत्व धर्म भी इससे सहमत हैं। निशचित रूप से वह ईशवर जो ज्ञानी, बुद्धिमान और शक्तिवान है, इस बात से श्रेष्ठ है कि वह अपनी प्रजा की सृष्टि बिना किसी लक्ष्य के करे और उन्हें बेकार छोड़ दे। ईशवर ने कहा और हम ने आसमान और ज़मीन को और जो (कायनात) उन में है, उस को मस्लहत से खाली नहीं पैदा किया। यह उन का गुमान है, जो काफ़िर हैं, सो काफ़िरों के लिए दोज़ख का अज़ाब है। (साद, 27)

बल्कि ईशवर ने एक महत्वपूर्ण लक्ष्य और एक महान बूद्धिमत्ता के कारण अपने प्रजा की सृष्टि की है, ईशवर ने कहा । और मैंने जिन्नों और इंसानों को इसलिए पैदा किया है कि मेरी इबादत करें । (अल् ज़ारयात, 56)

परन्तु इस जैसे बुद्धिमान ईशवर को यह शोभा नहीं देता कि आज्ञाकारी और अनाज्ञाकारी दोनों इस ईशवर की नज़र में एक समान हों । ईशवर ने कहा । जो लोग ईमान लाए और अमल करते रहे, क्या उन को हम उन की तरह कर देंगें, जो मुल्क में फसाद करते हैं या परहेज़गारों को बद-कारों की तरह कर देंगे । (स्वाद, 28)

इसी कारण की अदभुत शक्ति और महान बुद्धिमत्ता यह है कि वह भविष्य जीवन में हर मनुष्य को अपने कार्य का फल देने के लिए दुबारा जीवित करे, ताकि अच्छे कार्य करने वाले को अच्छा फल दें और बुरे कार्य करने वाले को दण्ड दे। ईशवर ने कहा । ताकि ईमान वालो और नेक काम करने वालों को इंसाफ़ के साथ बदला दे । औस जो काफ़िर है उनके लिए पीने को बहुत गर्म पानी और दर्द देने वाला अज़ाब होगा, क्योंकि (खुदा से) इंकार करते थे। (यूनुस, 4)

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डिपोरा पोटर

अमेरिका के पत्रकार
पाक-साफ जड
इस्लाम मुहम्मद (स) की ओर से कोई नया मज़हब नही है। परन्तु ईसा के आसमान पर उठाये जाने के 600 साल बाद पृथ्वी में दुबारा उसी वही का व्याप्त हुआ जो पूर्व आसमानी मज़हब की असल थी और इस वही ने सारे मज़हब को उनकी मूल जड़ की ओर लौटा दिया। सब नबी जिन्को ईश्वर ने भेजा है वे सब के सब मुसलमान थे और सब का संदेश हमेशा एक ही था।

और इसी कारण मृत्यु के बाद मनुष्य को हिसाब-किताब के लिए दुबारा जीवित करना कितान ही आसान है। क्या यह वही तो पवित्र ईशवर है जिसने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की है। जब ईशवर ने प्रजा को बिना किसी पिछले नमूने के सृष्टि कि, तो क्या वह ईशवर दुबारा अपने प्रजा की सृष्टि करने की शक्ति नहीं रखता है। ईशवर ने कहा । क्या उन्होंने नहीं समझा कि जिस खुदा ने आसमानों और ज़मीन को पैदा किया और उन के पैदा करने से थका नहीं, वह इस (बात) पर भी क़ुदरत रखता है कि मुर्दों को जिंदा कर दे हाँ, (हाँ) वह हर चीज़ पर क़ुदरत रखता है । (अल् अह् ख़ाफ, 33)

और ईशवर ने कहा । भला जिस ने आसमानों और ज़मीन को पैदा किया, क्या वह इस पर क़ुदरत नहीं रखता कि (उन को फिर) वैसे ही पैदा करदें क्यों नही, और वह तो बडा पैदा करने वाला (और) इल्म वाला है। (यासीन, 81)

परन्तु जो ईशवर प्रथम सृष्टि की शक्ति रखता है, वह निशचित रूप से दुबारा सृष्टि करने पर अधिक शक्तिवान होगा। ईशवर ने कहा । और वही तो है जो खल्क़त को पहली बार पैदा करता है, फिर उसे दोबारा पैदा करेगा और यह उसको बहुत आसान है और आसमानों और ज़मीन में उस की शान बहुत बुलंद है और वह ग़ालिब हिक्मत वाला है। (अल् रूम, 27)

बल्कि इस संसारिक जीवन में भी ईशवर के आदेश से इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) के सामने मुर्दे को ज़िंदा किया गया । ईशवर ने कहा । और जब इब्राहीम ने ख़ुदा से कहा कि ऎ परवरदिगार मुझे दिखा कि तू मुर्दों को किस तरह ज़िन्दा करेगा । खुदा ने फरमाया कि क्या तुम ने (इस बात को) बावर नहीं किया (यानी माना नही) उन्हों ने कहा, क्यों नहीं, लेकिन (मै देखना) इसलिए (चाहता हूँ) कि मेरा दिल कामिल इत्मीनान हासिल कर ले। खुदा ने फरमाया कि चार जानवर पकड़ कर अपने पास मंगालो (और टुकड़े-टुकड़े कर दो) फिर उनका एक-एक टुक्डा हर एक पहाड़ पर रखवा दो। फिर उनको बुलाओ तो वे तुम्हारे पास दौड़ते चले आएँगे और जान रखो कि ख़ुदा ग़ालिब और हिक्मत वाला है। (अल् बक़रः 260)

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व्लोरावीशा फाग्लेरी

प्राच्य विद्या विशारद
सच्ची एकीकरण (तौहीद)
अरबी रसूल मुहम्मद (स) ने प्रेरणादायक आवाज़ से अपने ईश्वर के साथ गहरा संबंध रखने की ओर बुलाया। मूर्ती पूजा करनेवालं, ईसाइयत और पहूदियन के मानने वालों क सच्छी एकीकरण सिध्दांत की ओर बुलाया। आप इस बात पर सहमत थे के व मानव प्रतिक्रियावादी प्रवृत्तियाँ जो मानव को प्रजापति ईश्वर के साथ और अन्य ईश्वर पर विश्वास रखने को बुलाते हैं। ऐसे प्रवृत्तियों के साथ खुला संघर्ष करने पर आप सहमत थे।

और इसी प्रकार से ईसा (अलैहिस्सलाम) के द्वारा भी ईशवर के आदेश से मुर्दे को ज़िंदा किया गया। ईशवर ने कहा । जब खुदा (ईसा से) फरमाएगा कि ऎ ईसा बिन मरयम । मेरे उन एहसानों को याद करो, जो मैंने तुम पर और तुम्हारी वालिदा पर किए जब मैंने रूहुल क़ुदूस (यानी जिब्रील) से तुम्हारी मदद की । तुम झूले में और जवान होकर एक ही नस्क़ पर लोगों से बातें करते थे और जब मैंने तुम को किताब और हिक्मत और तौरात और इंजील सिखायी और जब तुम मेरे हुक्म से मिट्टी का जानवर बनाकर उस में फूंक मार देते थे, तो वह मेरे हुक्म से उड़ने लगता था और पैदाइश अंधे और सफ़ेद दाग़ वाले मेरे हुक्म से चंगा कर देते थे और मुर्दे को मेरे हुक्म से (ज़िंदा करके कब्र से) निकाल खडा करते थे और जब मैंने बनी इस्राईल (के हाथों) को तुम से रोक दिया, जब तुम उनके पास खुले निशान लेकर आए, तो जो उन में से काफ़िर थें, कहने लगे कि यह तो खुला जादू है। (अल् माइदः 100)




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